
Vodafone Idea को बचाने के लिए चिदंबरम ने दी विदेशी कंपनी द्वारा अधिग्रहण की सलाह, कहा-सरकार न करे और निवेश
Chidambaram on Vodafone Idea: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि वोडाफोन आइडिया को बचाने के लिए सरकार को उसमें अपनी तरफ से और निवेश नहीं करना चाहिए.
P Chidambaram on Vodafone Idea Revival : देश के पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम का मानना है कि सरकार को वोडाफोन आइडिया (Vi) को बचाने के लिए अब और पैसा नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कंपनी को उबारने का बेहतर तरीका यह हो सकता है कि किसी विश्वस्तरीय विदेशी टेलिकॉम कंपनी को इसके अधिग्रहण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। चिदंबरम के मुताबिक, इससे न केवल वोडाफोन आइडिया की मौजूदा स्थिति में सुधार होगा, बल्कि भारत के टेलिकॉम सेक्टर में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, जो उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होगी।
पी. चिदंबरम ने मौजूदा समय में देश के टेलिकॉम सेक्टर में ड्युओपॉली(duopoly) की स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह किसी भी इंडस्ट्री के लिए स्वस्थ संकेत नहीं है। ड्युओपॉली वह स्थिति होती है जब किसी सेक्टर का लगभग पूरा बाजार सिर्फ दो बड़ी कंपनियों के बीच बंटा होता है, जिससे प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है और इसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत के टेलिकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो(Reliance Jio) और भारती एयरटेल(Bharti Airtel) का वर्चस्व है, और यदि कोई तीसरी मजबूत कंपनी नहीं रही, तो उपभोक्ताओं को कीमत, सेवा और विकल्पों के मामले में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सरकार न बने वोडाफोन आइडिया की ओनर : चिदंबरम
पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “Vi को फिर से खड़ा करने का तरीका यह नहीं है कि सरकार उसमें और पैसा डाले (जो पहले ही 36,500 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है) और उसे एक सरकारी कंपनी बना दे।” उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सरकार को अब इस कंपनी में और निवेश नहीं करना चाहिए। इसके बजाय किसी मजबूत अंतरराष्ट्रीय टेलिकॉम कंपनी को इसे टेकओवर करने का मौका देना चाहिए। चिदंबरम का मानना है कि यदि ऐसा होता है तो भारत के टेलिकॉम सेक्टर में वर्तमान में मौजूद दो प्रमुख कंपनियों—जियो और एयरटेल—के लिए एक नई और सशक्त प्रतिस्पर्धा सामने आएगी, जिससे उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।
सिंधिया की कोशिशों का समर्थन
चिदंबरम ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा वोडाफोन आइडिया को दोबारा खड़ा करने की कोशिशों का समर्थन किया, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रयास सरकार के पैसे से नहीं, बल्कि ठोस योजना और वैश्विक कंपनियों की भागीदारी के जरिए किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर लिखा, “किसी भी इंडस्ट्री में ड्युओपॉली अच्छी नहीं होती।” उनका मानना है कि विदेशी निवेशकों की भागीदारी से न केवल वोडाफोन आइडिया को नई जान मिल सकती है, बल्कि यह बाजार में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देगी, जो उपभोक्ताओं और टेलिकॉम इंडस्ट्री दोनों के हित में होगा।
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देश में फिर आएं अंतरराष्ट्रीय टेलिकॉम प्लेयर : चिदंबरम
चिदंबरम ने अपने बयान में यह भी याद दिलाया कि एक समय था जब AT\&T, BT, Verizon, Etisalat और Hutchison जैसी दिग्गज वैश्विक टेलिकॉम कंपनियां भारत के बाजार में सक्रिय थीं। लेकिन बाद में ये सभी कंपनियां यहां के जटिल और अस्थिर रेगुलेटरी माहौल के चलते देश से बाहर चली गईं। उन्होंने अपने ट्वीट के ज़रिए यह स्पष्ट संकेत दिया कि यदि भारत फिर से टेलिकॉम सेक्टर में ग्लोबल इनवेस्टमेंट चाहता है, तो सबसे पहले रेगुलेटरी ढांचे को सरल, पारदर्शी और निवेश के अनुकूल बनाना होगा। तभी कोई विदेशी कंपनी वोडाफोन आइडिया जैसे संकटग्रस्त ब्रांड में रुचि दिखाएगी और भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्री में एक बार फिर प्रतिस्पर्धा का स्वस्थ माहौल बन सकेगा।
Vi में सरकार की लगभग 49% हिस्सेदारी
वोडाफोन आइडिया कभी भारत की शीर्ष टेलिकॉम कंपनियों में से एक थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह आर्थिक संकट का सामना कर रही है। सरकार ने कंपनी की कई बड़ी देनदारियों को पहले ही इक्विटी में बदल दिया है, जिससे अब सरकार इसकी सबसे बड़ी शेयरधारक बन चुकी है।
हालांकि सरकार के भारी निवेश के बाद भी Vi को बचाने के लिए अभी और पूंजी की जरूरत है और एक मजबूत कारोबारी योजना भी होनी चाहिए, ताकि वह Jio और Airtel के वर्चस्व वाले बाजार में टिक सकें।
सरकार ने बड़ी देनदारियों को इक्विटी में बदला
फरवरी 2023 में सरकार ने Vi की स्पेक्ट्रम और एजीआर (AGR) बकाए से जुड़ी 16,133 करोड़ रुपये की ब्याज देनदारी को इक्विटी में बदल दिया था. इसके बाद हाल ही में केंद्र सरकार ने 36,950 करोड़ रुपये की और देनदारी को भी शेयर्स में बदला. इस प्रक्रिया में Vi ने 10 रुपये प्रति शेयर की दर से 3,695 करोड़ नए शेयर सरकार को जारी किए. इस ट्रांजैक्शन के बाद सरकार की कंपनी में हिस्सेदारी बढ़कर 48.99% हो गई है. हालांकि कंपनी का संचालन अब भी उसके प्रमोटर्स के हाथों में ही है.